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क्या आप जानते हैं कि SEBI के दिशा निर्देशों के अनुसार म्युचुअल फंड मैनेजर को आपके द्वारा किए गए इन्वेस्टमेंट को कहीं ना कहीं इन्वेस्ट जरूर करना पड़ता है वह इंतजार नहीं कर सकता है और कुछ बार मजबूरन उसे ना चाहते हुए भी मार्केट की स्थिति को नजर अंदाज करते हुए मजबूरन निवेश करना पड़ता है? हम सभी ने अक्सर सुना है 'म्यूच्यूअल फंड बाजार जोखिम के अधीन है'। क्या आप जानते हैं कि म्यूच्यूअल फंड किस प्रकार जोखिमों से संबंधित है? म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पूर्व हमें उससे संबंधित सभी जोखिमों की संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए। आज हम म्यूचुअल फंड के नुकसान (mutual fund ke nuksan) पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
हालांकि दूसरे निवेश माध्यमों से इसको को सुरक्षित माना जाता है लेकिन आज आप जानोगे कि म्यूचुअल फंड इतने भी सुरक्षित नहीं होते हैं जितना कि हम समझते हैं। Mutual fund ke nuksan bhi hai
अगर आप किसी भी तरह के फंड में निवेश करते हैं तो आपको यह पूरी तरह जानकारी होनी चाहिए कि आपका निवेश किस तरह के जोखिमों के अधीन है जिससे कि आपको भविष्य में किसी तरह की निराश न झेलनी पड़े।
म्यूचुअल फंड के नुकसान - Disadvantages of Mutual Funds
- शेयर बाजार से कम रिटर्न: शेयर बाजार में सीधा निवेश करने की बजाय ज्यादातर लोग म्युचुअल फंड का सहारा लेते हैं जिनमें जोखिम कम होता है और बदले में उन्हें लाभ भी काम होता है। अगर म्युचुअल फंड और शेयर बाजार के रिटर्न की बात करें तो शेयर बाजार में ज्यादा रिटर्न मिलते हैं। लेकिन यह नहीं बोलना चाहिए कि उसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है। अगर आपने किसी गलत कंपनी में निवेश कर दिया और वह कंपनी डूब गई तो उसके साथ-साथ आपका किया गया निवेश भी डूब जाएगा। उदाहरण के तौर पर हम रिलायंस रिटेल, DHFL की बात कर सकते हैं जिसमें बहुत सारे निवेशकों ने अपना धन गवा दिया।
- ज्यादा डायवर्सिफिकेशन: फंड मैनेजर द्वारा एक ही पोर्टफोलियो में अनेकों ऐसेटस में निवेश किया जाता है जिससे कि रिटर्न स्टेबल रहे जिसे हम डायवर्सिफिकेशन (Diversification) कहते हैं। म्यूच्यूअल फंड डायवर्सिफिकेशन जोखिम को एक तरफ जोखिम को सीमित करता है पर दूसरी तरफ रिटर्न को भी सीमित कर देता है। अति विविधीकरण से बचने के लिए निवेशकों द्वारा उद्देश्य पूर्ण रणनीति तैयार करनी चाहिए एवं निवेश करना चाहिए। ज्यादातर बैलेंस फंड इसकी उदाहरण होते हैं। जिनमें की सालाना 7 से 8% तक का रिटर्न मिलता है। क्योंकि ऐसे फंड में गवर्नमेंट बॉन्ड जैसी स्कीम में ज्यादा निवेश किया जाता है जिससे की जोखिम कम रहे ज्यादातर कंजरवेटिव इन्वेस्टर ऐसे फंड में निवेश करते हैं जो कि थोड़ा सा भी जोखिम लेना पसंद नहीं करते हैं।
- असामान्य रिटर्न: म्युचुअल फंड के नुकसान (mutual fund ke nuksan) की बात करें तो सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें निवेश करने के लिए आपको लंबी अवधि के लिए रुकना पड़ता है। सबसे अच्छे रिटर्न 20 साल के बाद मिलते हैं क्योंकि इसमें कंपाउंडिंग का असली फायदा तब देखने को मिलता है। 5 या 10 साल के लिए इन्वेस्टमेंट करने पर उतने अच्छे रिटर्न नहीं मिलते हैं जितने की आपको सीधे शेयर बाजार में निवेश करने से मिल सकते हैं। म्यूचल फंड निवेशक को किसी भी प्रकार की गारंटी प्रदान नहीं करते हैं और इसमें संभावित जोखिम एवं मूल्यह्रास की स्थिति बनी रहती है। यहां तक कि कंपनी के सभी विशेषज्ञ मिलकर भी निवेशकों को संभावित जोखिम एवं मूल्यह्रास से नहीं बचा सकते हैं।
- अतीत में प्रदर्शन: अक्सर यह देखा गया है कि निवेशक किसी भी म्युचुअल फंड स्कीम में निवेश करने से पहले उसके पिछले कुछ सालों के रिटर्न देखते हैं लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि जो पिछले सालों के अच्छे रिटर्न का मतलब यह नहीं होता है कि आगे भी हमें अच्छे ही रिटर्न मिलेंगे। म्युचुअल फंड में कुछ बार सालों तक नेगेटिव रिटर्न भी मिलते हैं। म्यूच्यूअल फंड कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली रेटिंग एवं विज्ञापन उनके अतीत के प्रदर्शन पर आधारित होती हैं। रेटिंग एवं विज्ञापन कंपनियों के भविष्य के प्रदर्शन को सुनिश्चित नहीं करती हैं। इसलिए निवेशक को सर्वप्रथम आचार नीति, पारदर्शिता, निवेश रणनीति इत्यादि का विश्लेषण करना चाहिए।
- ईएलएसएस फंड्स: टैक्स सेविंग म्युचुअल फंड के नुकसान यह है कि इसमें 3 साल का लॉकिंग पीरियड होता है। मतलब कीई ELSS स्कीम में इन्वेस्ट करने के बाद 3 साल तक आप अपने फंड को निकलवा नहीं सकते हैं। ईएलएसएस फंड्स निवेशकों के लिए एक उत्तम टैक्स सेविंग माध्यम है परंतु इसकी न्यूनतम समय अवधि 3 वर्ष की है।
- म्युचुअल फंड एग्जिट लोड: निवेशकों द्वारा एक निश्चित समय से पूर्व बाहर जाने से रोकने के लिए कंपनियों द्वारा शुल्क लागू किया जाता है जिसे एग्जिट लोड (mutual fund exit load) कहा जाता है। इसका यह अर्थ है कि यदि कोई निवेशक समय से पूर्व अपने सिक्योरिटीज को रिडीम करना चाहता है तो उस पर एग्जिट लोड शुल्क लागू होता है जो कि अक्सर एक से दो प्रतिशत तक होता है।
- सीएजीआर: CAGR एकमात्र साधन है जो निवेशक को संपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है परंतु इसके विपरीत यह निवेशक को ना तो संभावित जोखिम पूर्ण स्थिति से अवगत करवाता है और ना ही कंपनी द्वारा अनेकों ऐसेट में निवेश संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
- निवेश पर नियंत्रण ना होना: म्यूचुअल फंड में किए गए निवेश पर निवेशकों का किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं होता है। संपूर्ण निवेश को फंड मैनेजर एवं उसके विशेषज्ञों की टीम द्वारा नियंत्रित किया जाता है एवं निवेश से संबंधित सभी निर्णय फंड मैनेजर द्वारा लिए जाते हैं।
- एक्सपेंस रेश्यो एवं बिक्री शुल्क: निवेशकों को म्यूचल फंड से संबंधित एक्सपेंस रेशों एवं बिक्री शुल्क पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि कंपनी द्वारा 1.5% से अधिक एक्सपेंस रेशों, 12b-1 वितरण शुल्क एवं अन्य सामान्य बिक्री शुल्क लागू किए जा रहे हो तो यह निवेशक के लिए अतिरिक्त व्यय का कारण सिद्ध होते हैं।
- फंड मैनेजर द्वारा गलत डिसीजन: कुछ बार शेयर बाजार बहुत ज्यादा वोलेटाइल हो जाता है। ऐसी स्थिति में कुछ बार फंड मैनेजर बार-बार शेयर में निवेश करते हैं और एग्जिट करते हैं जिससे कि उनके फंड का रिटर्न अच्छा रहे और फंड में नुकसान निवेशकों को नुकसान कम हो। लेकिन कुछ बार फंड मैनेजर भी गलती कर बैठते हैं जिसका भुगतान निवेशकों को भरना पड़ता है। बार-बार शेयर बाजार में एंट्री और एग्जिट करने से जो ट्रांजैक्शन चार्ज पढ़ते हैं उनका बोझ भी निवेशकों पर ही पड़ता है। अनेकों फंड मैनेजर्स द्वारा प्रबंधन प्राधिकरण का अनुचित उपयोग किया जाता है। वे निरंतर स्टॉक की खरीद-फरोख्त करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप लागू होने वाले शुल्क एवं करों में वृद्धि होती है एवं प्राप्त होने वाले रिटर्न में कमी आती है। अत्यधिक एवं निरंतर खरीद-फरोख्त से संबंधित म्यूचल फंड निवेशकों के लिए निश्चित रूप से जोखिम पूर्ण सिद्ध होते हैं।
- फंड का मूल्यांकन: निवेशकों के लिए यह अत्यधिक कठिन कार्य है कि वह अनेकों फंड्स का विस्तृत रूप से अध्ययन एवं मूल्यांकन करें। म्यूच्यूअल फंड की नेट ऐसेट वैल्यू निवेशक को फंड के पोर्टफोलियो का मूल्यांकन प्रदान करती है। दो विभिन्न फंडों की तुलना करने के लिए निवेशक को अनेकों मापदंडों का उपयोग करना पड़ सकता है जो निवेशक के लिए एक जटिल कार्य साबित हो सकता है।
- फंड मैनेजर: अनेकों बार निवेशकों द्वारा कंपनी का चुनाव किसी विशेष फंड मैनेजर को ध्यान में रखकर किया जाता है। वह विशेष फंड मैनेजर निवेशकों के लिए कम समय के लिए तो लाभदायक सिद्ध हो सकता है परंतु लंबे समय के निवेश के लिए यह जोखिम से भरपूर है। साथ ही फंड मैनेजर द्वारा एक कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी को अपनाने की परिस्थिति हमेशा बनी रहती है। इसलिए निवेशकों द्वारा कंपनी का चुनाव फंड मैनेजर के आधार पर नहीं कंपनी की आचार नीति, पारदर्शिता, निवेश रणनीति इत्यादि के आधार पर करना चाहिए।
ऊपर दिए गए म्युचुअल फंड के नुकसान को ध्यान में रखते हुए भी म्युचुअल फंड अभी तक सबसे अच्छे निवेश माने जाते हैं। यह निवेश जो लंबे समय में सीमित रिटर्न प्राप्त करके अपनी संपत्ति को बढ़ाना चाहते हैं के लिए बहुत अच्छे है।
म्युचुअल फंड में निवेश के साथ-साथ आपको अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहिए। आपको गोल्ड बॉन्ड और अच्छे शेयर में भी निवेश करना चाहिए जिससे कि आपको भविष्य में अच्छे रिटर्न मिले और आपकी संपत्ति अच्छी तरह बड़े।
आपको इंडेक्स फंड के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए यह भी एक अच्छा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन आपके लिए हो सकता है।
मैं व्यक्तिगत तौर पर निवेश के लिए नीचे दिए गए Angel One स्टॉक ब्रोकर में आपको अकाउंट खोलने की सलाह देता हूं।