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बीमा एक कानूनी करार है जिसमें दो पक्ष (बीमित और बीमा कंपनी) आपसी सहमति में आते हैं। बीमा में बीमित व्यक्ति को तय किया गया प्रीमियम अदा करना होता है और बदले में बीमा कंपनी को बीमित घटना के घटित होने पर क्षतिपूर्ति करनी होती है।
इस तरह बीमा किसी व्यक्ति को या उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करता है। बीमा कंपनी को राशि का भुगतान एक बार में किया जा सकता है या वार्षिक/मासिक/त्रैमासिक/अर्ध-वार्षिक प्रीमियम के रूप में भी किया जा सकता है। मिलने वाले लाभ बीमा के प्रकार पर निर्भर करते हैं। कुछ बीमा पॉलिसी में मृत्यु लाभ होते हैं और कुछ में पॉलिसी पूरी होने पर बीमा राशि के मिलती है।
ज्यादातर लोग अपना जीवन बीमा (Life Insurance) नहीं करवाते हैं और जिसकी सजा अंत में उनके इस दुनिया से जाने के बाद परिवार को आर्थिक तंगी और गरीबी के रूप में भुक्तनी नहीं पड़ती है।
तो चलिए आज जानते हैं कि जीवन बीमा क्यों जरूरी है (Jeevan bima kyu jaruri hai) और किन स्थितियों में हमें इसे करना चाहिए करवाना चाहिए।
जीवन बीमा क्यों जरूरी है? - Jeevan Bima Kyu Jaruri Hai
हम में से ज्यादातर लोग आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं होते की कोई अप्रिय घटना के घटित होने पर उसके नुकसान की भरपाई कर सकें।
बहुत बार ऐसा देखा गया है कि परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर बाकी का परिवार आर्थिक मंदी में आ जाता है जिसके कारण उसको अपना घर तक बेचना पड़ जाता है।
लेकिन जिन लोगों के पास जीवन बीमा जैसी पॉलिसी होती है उन्हें बीमा कंपनी द्वारा आर्थिक मदद मिल जाती है जिससे वह अपना गुजारा कर सकते हैं।
इसी तरह मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में जब हमारा वाहन दुर्घटना में किसी दूसरे व्यक्ति को या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो कानूनन हमें उस व्यक्ति के नुकसान की भरपाई करनी पड़ती है जो कि हमारी ओर से मोटर बीमा कंपनी कर देती है।
लेकिन जिन लोगों के पास मोटर बीमा पॉलिसी नहीं होती है उनको नुकसान की भरपाई खुद की जेब से करनी पड़ती है। यहां नीचे हम उदाहरण की मदद से बीमा का महत्व समझने की कोशिश करते हैं।
मान लीजिए जॉन अपने परिवार में कमाने वाला एकमात्र सदस्य हैं और उसके दो बच्चे हैं और पत्नी है। जॉन की मासिक आय ₹30000 है जिससे वह अपने परिवार का गुजारा अच्छे से कर पा रहा है।
लेकिन उसके पास जीवन बीमा पॉलिसी नहीं है। अब एक दिन जॉन की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है।
अब क्या होगा? अब परिवार में कमाने वाला व्यक्ति नहीं रहा और उसे जो हर महीने ₹30000 आते थे वह आने बंद हो जाएंगे। जिसकी वजह से सबसे पहले बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा और उसके बाद घर का गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा।
अब जॉन की पत्नी को मजबूरन कोई नौकरी करनी पड़ेगी लेकिन हो सकता है कि वह इतना ना कमा पाए जितना जॉन कमाता था। अभी जब तक जॉन के बच्चे बड़े होकर नौकरी नहीं करने लग जाते तब तक जॉन की पत्नी को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
हो सकता है कि वह अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई ना करा पाए जिससे उसके बच्चों को अच्छी नौकरी मिलने के कम मौके मिलेंगे।
अभी ऊपर दी गई उदाहरण से आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जॉन बहुत अच्छी कमाई कर रहा था लेकिन उसने किसी अप्रिय घटना के बारे में कभी सोचा ही नहीं और उसके लिए अपने परिवार को कभी सुरक्षित करने के लिए भी नहीं सोचा जिससे उसका परिवार आर्थिक मंदी में आ गया।
अभी दूसरी तरफ अगर जॉन ने एक जीवन बीमा पॉलिसी ले रखी होती तो परिवार का दुख तो कम नहीं होता लेकिन उसको आर्थिक तंगीओं का सामना ना करना पड़ता (क्लेम राशि लिए गए बीमा के प्रकार और प्रीमियम पर निर्भर करती है)।
बीमा से मिलने वाली क्लेम राशि से परिवार अच्छी जिंदगी बिता सकता था।