डीमैट अकाउंट क्या है? डीमैट अकाउंट के फायदे और प्रकार

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 भारत में डीमैट अकाउंट सिस्टम 1996 में पेश किया गया था। इससे पहले स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग पेपर वर्क के द्वारा की जाती थी। यह वह समय था जिस समय आम आदमी को भी को भी डीमैट के माध्यम से शेयर बाजार में निवेश करने की अवसर मिथा था। डिमैट अकाउंट होता है (demat account kya hota hai) इसको सरल भाषा में समझना हो तो हम बैंक अकाउंट की उदाहरण ले सकते हैं।

आप सभी का बैंक अकाउंट होगा। आप में से अनेकों का तो एक से अधिक बैंक अकाउंट भी होगा। यह अकाउंट भी एक बैंक अकाउंट की भांति ही कार्य करता है। एक सामान्य बैंक अकाउंट तथा डिमैट अकाउंट में केवल इतना ही अंतर है कि बैंक अकाउंट में आप अपना धन रखते हैं और डीमैट अकाउंट में आप अपने सभी प्रकार के खरीदे हुए शेयर और सिक्योरिटीज रखते हैं।

जैसे कि अगर आप बैंक में पैसे जमा करवाना चाहते हैं तो आपका बैंक अकाउंट होना जरूरी है इस तरह अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो आपका डिमैट अकाउंट होना जरूरी है जिसमें कि आप अपने खरीदे गए शेयर को रखेंगे। यदि आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपका अकाउंट होना अति अनिवार्य है।

जैसे कि बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए आपको रिजर्व बैंक आफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त बैंकों के पास जाना पड़ता है इस तरह ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने के लिए आपको SEBI (Securities and Exchange Board of India) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टॉक ब्रोकर के पास जाना पड़ता है। डिमैट खाता आप खुद से सीधा नहीं खुलवा सकते हैं।

आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में ट्रेडिंग अकाउंट खोलना बहुत आसान हो चुका है। अभी तो सिर्फ 15 मिनट में ही डिमैट खाता खुल जाता है। इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है सारे का सारा प्रोसेस ऑनलाइन होता है।

अगर आप भी अपना शेयर बाजार अकाउंट खोलना चाहते हैं तो नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आप अभी ही सिर्फ 15 मिनट में अपना डिमैट अकाउंट भारत के नंबर 1 स्टॉक ब्रोकर एंजेल वन (Angel One) के साथ खोल सकते हैं जो कि सेबी रजिस्टर्ड है और डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर कैटेगरी में भारत का नंबर वन ब्रोकर है।

आगे हम अच्छी तरह से जानते हैं कि डिमैट अकाउंट क्या है और इसके क्या फायदे (benefits of demat account in Hindi) हैं।

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डीमैट अकाउंट क्या होता है? - Demat account kya hota hai

डीमैट अकाउंट को डीमैटरियलाइज़उ अकाउंट (Dematerialised Account) कहा जाता है। डीमैटरियलाइज़ का अर्थ होता है अभौतिक। इस प्रकार इसका अकाउंट का अर्थ है वह अकाउंट जिसमें निवेशकों द्वारा खरीदे गए एवं बेचे गए शेयर का रखरखाव अभौतिक रूप (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम) में होता है। 

डिमैट अकाउंट में आपके सभी प्रकार के खरीदे गए शेयर, बॉन्ड, म्युचुअल फंड, गोल्ड ईटीएफ, आईपीओ में शेयर मिले तथा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज आदि स्टोर होते हैं जिनको कि आप कभी भी बेच या खरीद सकते हैं।

डिमैट खाता का रखरखाव मुख्यतः दो संगठनों द्वारा किया जाता है: नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL)। एनएसडीएल और सीडीएसएल को डिपॉजिटरी कहा जाता है, जो मुख्य रूप से निवेशकों को सिक्योरिटी बेचते है।

डिपॉजिटरी तथा निवेशकों के बीच में सिक्योरिटी का आदान प्रदान करने वाले एजेंट तथा ब्रोकर्स को डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (साधारण भाषा में स्टॉक ब्रोकर) कहा जाता है।

मैं व्यक्तिगत तौर पर शेयर बाजार में अकाउंट खोलने के लिए एंजेल वन (Angel One) रिकमेंड करता हूं। क्योंकि यह भारत के मशहूर स्टॉक ब्रोकर में नंबर वन पर है। अभी तक एक करोड़ से ज्यादा निवेशकों ने एंजेल वन के साथ अकाउंट खोल रखा है। 

इनका ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बहुत ही ज्यादा उन्नत और उपयोग करने में बहुत आसान है। साथ ही में यह ब्रोकरेज बहुत कम लेते हैं और डिलीवरी ट्रेड के लिए तो जीरो ब्रोकरेज लेते हैं।

डीमैट अकाउंट के फायदे - Benefits of Demat Account

तो चलिए देखते हैं डीमैट अकाउंट के क्या फायदे हैं (demat account ke fayde):

  • भारतीय शेयर मार्केट में निवेश का अवसर: डिमैट अकाउंट की मदद से आप भारतीय शेयर बाजार में निवेश का अवसर पाते हैं। जैसे कि आप जानते हैं पूरी दुनिया में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा तेज बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आने वाले 10 या 20 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा आगे आने वाली है। यह एक सुनहरी अवसर है अच्छी कंपनियों के शेयर खरीद कर अपनी संपत्ति को कई गुना बढ़ाने का।
  • कम लागत: डीमैट अकाउंट में सिक्योरिटी संग्रहित होने के कारण निवेशक को हैंडलिंग चार्ज, स्टांप ड्यूटी तथा अन्य कई खर्चों से राहत मिल जाती है।
  • कम समय: सिक्योरिटी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में मौजूद होने के कारण सिक्योरिटी की खरीद-फरोख्त में समय की बचत होती है जिसके द्वारा निवेशक को ट्रेडिंग करने के लिए भी अधिक समय मिल जाता है। यहां पर आप एक क्लिक में किसी स्टॉक को बेच सकते हैं और खरीद सकते हैं।
  • न्यूनतम जोखिम: इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में शेयर होने की वजह से आपको किसी तरह का शेयर चोरी होने के जोकिंग नहीं होते हैं। आपको बता दे की स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदने के बाद आप पेपर में भी स्टॉक की डिलीवरी ले सकते हैं। लेकिन इस तरह करने पर यह जोखिम होता है कि अगर आपका स्टॉक पेपर गुम जाता है तो इस स्थिति में आपका निवेश आपको वापस मिलने की संभावना नहीं होती है। लेकिन डिमैट खाता में पड़े हुए सिक्योरिटीज  गुम नहीं हो सकते हैं क्योंकि वह इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होते हैं। जिनको कि आप कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। सिक्योरिटी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में संग्रहित होने के कारण निवेशक इनके चोरी होने, गुम होने अथवा किसी प्रकार की भी जालसाजी से सुरक्षित रहता है।
  • सरल रखरखाव: डिमैट अकाउंट में सिक्योरिटी संग्रहित होने के कारण निवेशक इनकी एक जगह से ही (ऑनलाइन) रखरखाव एवं निगरानी कर सकता है। अपना प्रॉफिट लॉस कभी भी देख सकता है।
  • ऋण सुविधा: डिमैट खाता में संग्रहित सिक्योरिटी को निवेशक जमानत (collateral) के रूप में उपयोग कर सकता है।
  • ट्रेडिंग के लिए एक्स्ट्रा मार्जिन: इसके इलावा अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तो आप अपने स्टॉक को प्लीज कर सकते हैं जिससे कि आपको एक्स्ट्रा मार्जिन मिल जाता है जिससे आप बड़े ट्रेड ले सकते हैं।
  • कॉर्पोरेट लाभ: डीमेट में शेयर होने से आपको बहुत ज्यादा फायदे मिलते हैं जैसे कि अगर किसी स्टॉक में डिविडेंड घोषित किए जाते हैं, शेयर स्प्लिट हो जाता है या बोनस मिलता है तो वह आपको आसानी से सीधा मिल जाता है।
  • समय की बचत: ट्रेडिंग अकाउंट शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट को बहुत ही आसान बना देता है। आपका कभी भी अपने यूजर आईडी और पासवर्ड से लॉगिन सकते हैं और निवेश करना शुरू कर सकते हैं।
  • स्टॉक पोर्टफोलियो निगरानी: इससे आप आसानी से अपने पोर्टफोलियो को मॉनिटर (monitor stock portfolio) कर सकते हैं और देख सकते हैं कि कौन से शेयर आपको ज्यादा फायदे दे रहे हैं और जो नुकसान दे रहे हैं उनको आप बेच सकते हैं।
  • अनेकों निवेश ऑप्शन: यह अकाउंट शेयर तक सीमित नहीं होता है। इसमें आप गवर्नमेंट बॉन्ड, सावरेन गोल्ड बॉन्ड, म्युचुअल फंड सभी को एक जगह रख सकते हैं। जिससे कि आसानी से पता चल जाता है की समय के साथ आपकी संपत्ति कितनी बड़ी है। इस तरह सभी सिक्योरिटीज एक जगह होने से आपकोअपना पोर्टफोलियो मैनेज करने में बहुत आसानी होती है।

डीमैट अकाउंट के प्रकार - Types of Demat account in Hindi

मुख्यतः तीन डिमैट अकाउंट के प्रकार हैं:

  1. रेगुलर डिमैट खाता: रेगुलर अकाउंट (Regular Demat account) की आवश्यकता उन निवेशकों को होती है जो केवल इक्विटी शेयर में ही ट्रेडिंग करते हैं तथा स्थाई रूप से भारत में ही रहते हैं।
  2. रिपेट्रीएबल अकाउंट: रिपेट्रीएबल डिमैट अकाउंट (Repatriable account) की आवश्यकता अप्रवासी भारतीय निवेशकों को होती है। यह एक प्रकार का एनआरआई डीमैट अकाउंट होता है जो एनआरई बैंक अकाउंट के साथ लिंक होता है। सिक्योरिटी तथा शेयर से प्राप्त आय अप्रवासी भारतीय निवेशकों के एनआरई बैंक अकाउंट स्थानांतरित हो जाती है, जो कि बाद में अप्रवासी भारतीय निवेशकों से संबंधित विदेशी बैंकों में स्थानांतरित की जा सकती है।
  3. नॉन-रिपेट्रीएबल डिमैट अकाउंट: नॉन-रिपेट्रीएबल अकाउंट (Non-repatriable demat account)एक प्रकार का एनआरआई डीमैट अकाउंट होता है जो एनआरओ बैंक अकाउंट के साथ लिंक होता है। इस प्रकार के अकाउंट में सिक्योरिटी तथा शेयर से प्राप्त आय अप्रवासी भारतीय निवेशकों से संबंधित विदेशी बैंकों में स्थानांतरित करने पर प्रतिबंध होता है। आरबीआई के नियमों के अनुसार सिक्योरिटी और शेयर पर किए गए निवेश को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता परंतु इससे प्राप्त आए अप्रवासी भारतीय निवेशकों से संबंधित विदेशी बैंकों में स्थानांतरित की जा सकती है।

डीमैट खाता शुल्क कितने होते हैं? - Demat account charges

डीमैट अकाउंट में मुख्यतः चार प्रकार के शुल्क लागू होते हैं:

  • अकाउंट ओपनिंग शुल्क: डीमैट अकाउंट ओपन करने के लिए अनेकों बैंक, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट एवं स्टॉक ब्रोकर अनेकों प्रकार से शुल्क लागू करते हैं। डिमैट अकाउंट ओपनिंग चार्जेस लगभग ₹200 से ₹300 तक होते हैं। कुछ बैंक डिमैट अकाउंट ओपन करने के लिए निशुल्क सेवा प्रदान करते हैं तो कुछ अन्य बैंक इसके लिए एकमुश्त शुल्क लागू करते हैं। इसी प्रकार कई डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट निशुल्क डीमैट अकाउंट ओपन करते हैं एवं कई डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट अकाउंट ओपन करने के लिए नाममात्र शुल्क लागू करते हैं।
  • वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क: डीमैट अकाउंट पर लागू होने वाले वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क विभिन्न डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के आधार पर विभिन्न हो सकते हैं। यह वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क लगभग ₹300 हो सकता है। अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होने के कारण अनेकों ब्रोकर प्रथम वर्ष के लिए शून्य वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क लागू करते हैं। वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क को फोलियो मेंटेनेंस शुल्क भी कहा जाता है।
  • कस्टोडियन शुल्क: कस्टोडियन शुल्क का अर्थ होता है निवेशक की सिक्योरिटी को सुरक्षित रखने के लिए लगाया जाने वाला शुल्क। डीमैट अकाउंट पर लागू होने वाला कस्टडी शुल्क मासिक आधार पर अदा करना होता है एवं निवेशक के डिमैट खाता में संग्रहित सिक्योरिटी की संख्या पर आधारित होता है।
  • ट्रांजैक्शन शुल्क: डीमैट अकाउंट में डेबिट तथा क्रेडिट होने वाली सिक्योरिटी के मूल्य के आधार पर लगाए जाने वाले शुल्क को ट्रांजेक्शन शुल्क कहा जाता है। अनेक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट सिक्योरिटी के डेबिट होने पर शुल्क लागू करते हैं एवं कई अन्य डेबिट तथा क्रेडिट; दोनों पर शुल्क लागू करते हैं। अनेकों डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट द्वारा सर्विस टैक्स भी लागू किया जाता है। डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट सिक्योरिटी के डिमैटेरियलाइजेशन तथा रिमैटेरियलिजेशन के लिए भी शुल्क लागू करते हैं। निवेशक को ट्रांजेक्शन शुल्क का भुगतान नकद करना होता है।

अकाउंट खोलने के लिए क्या डॉक्यूमेंट चाहिए?

अकाउंट ओपन करने के लिए निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

  • पहचान का प्रमाण जैसे कि पैन कार्ड
  • निवास का प्रमाण जैसे कि आधार कार्ड
  • पिछले 6 महीनों की बैंक स्टेटमेंट
  • कैंसल्ड चेक ( बैंक का प्रमाण)
  • सैलरी स्लिप (आय का प्रमाण)
  • पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (ऑनलाइन अकाउंट खोलने पर आपको फोटो लाइव खींचनी पड़ती है)

आप ऑनलाइन डिमैट अकाउंट सिर्फ 15 मिनट में खोल सकते हैं ज्यादा जानकारी के लिए यह पोस्ट "ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोलें," पढ़े।

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के बीच शेयर का आदान-प्रदान कैसे होता है?

डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के बीच शेयर के आदान-प्रदान के लिए दो प्रकार की स्लिप होती हैं। भारत में डीमैट अकाउंट के रखरखाव के लिए मुख्यतः दो संगठन है; एनएसडीएल तथा सीडीएसएल। सर्वप्रथम यह जांच की जाती है कि क्या दोनों डिमैट खाता एक ही डिपॉजिटरी से संबंधित है अथवा नहीं।

यदि दोनों डिमैट अकाउंट एक ही डिपॉजिटरी से संबंधित हैं तो उस स्थिति में है होने वाले शेयर के स्थानांतरण को इंट्रा-डिपॉजिटरी स्थानांतरण कहा जाता है तथा इस प्रक्रिया को संपूर्ण करने के लिए भरी जाने वाली स्लिप को इंट्रा-डिपॉजिटरी स्लिप कहा जाता है।

यदि दोनों डीमैट अकाउंट अलग-अलग डिपॉजिटरी से संबंधित है तो उस स्थिति में होने वाले शेयर के स्थानांतरण को इंटर-डिपॉजिटरी स्थानांतरण कहा जाता है तथा इस प्रक्रिया को संपूर्ण करने के लिए भरी जाने वाली स्लिप को इंटर-डिपॉजिटरी स्लिप कहा जाता है।

उपरांत निवेशक अन्य जानकारी प्रदान करता है उदाहरण के तौर पर स्क्रिप नेम, आईएनंई नंबर तथा शेयर की संख्या शब्दों तथा अंकों में। इसके उपरांत निवेशक यह डिपॉजिटरी स्लिप अपने हस्ताक्षर सहित ब्रोकर को प्रदान करता है।

निवेशकों के लिए किस प्रकार लाभदायक है?

अकाउंट में सभी प्रकार की सिक्योरिटीज संग्रहित होने के कारण निवेशक इनके चोरी होने, गुम होने अथवा किसी प्रकार की जालसाजी से सुरक्षित रहता है। शेयर के पंजीकरण में कम समय लगता है। हैंडलिंग चार्ज, स्टांप ड्यूटी तथा अन्य खर्चों में राहत मिल जाती है। शेयर की बिक्री पर प्राप्त होने वाली आय तीव्रता से निवेशक के अकाउंट में स्थानांतरित होती है। निवेशक ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकता है तथा सिक्योरिटी को सफलतापूर्वक संग्रहित कर सकता है।

अकाउंट ओपन करने के क्या उद्देश्य होते हैं?

डीमैट अकाउंट ओपन करने के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं:

  • सरल एवं सुविधाजनक: डीमैट अकाउंट के कारण अनेकों समस्याओं का हल हुआ है जैसे कि सिक्योरिटी के भौतिक दस्तावेजों का चोरी होना, गुम होना या जालसाजी होना। हैंडलिंग चार्ज, स्टांप ड्यूटी, अन्य खर्चों का विलोपन हुआ है एवं शेयर की ऑडलॉट्स में ट्रेडिंग पर भी प्रतिबंध खत्म हुआ है।
  • समय की बचत: डीमैट अकाउंट के कारण ट्रेडिंग के संचालन में तीव्रता आई है। अनेकों प्रक्रियाएं उदाहरण के तौर पर निवेशक के पते में परिवर्तन करना हो या शेयरों का स्थानांतरण कुछ ही घंटों में पूर्ण की जा सकती है।
  • सिक्योरिटी की सुरक्षा: डीमैट अकाउंट का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है निवेशकों की सिक्योरिटी की सुरक्षा। डीमैट अकाउंट में सभी प्रकार की सिक्योरिटी अभौतिक रूप (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम) में संग्रहित होती हैं जिसके कारण इनके गुम होने, चोरी होने अथवा जालसाजी का खतरा विलुप्त हो जाता है।

डिमैटेरियलाइजेशन का क्या अर्थ है?

डिमैटेरियलाइजेशन का अर्थ होता है किसी भी भौतिक वस्तु को अभौतिक रूप में परिवर्तित करना। डिमैटेरियलाइजेशन के द्वारा सभी प्रकार के भौतिक शेयर प्रमाण पत्रों को अभौतिक रूप (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम) में परिवर्तित किया जाता है। डिमैटेरियलाइजेशन के द्वारा निवेशक सिक्योरिटी के भौतिक रखरखाव से बच जाते है।

जब भी कोई निवेशक शेयर खरीदता है तो शेयर कि वह संख्या उसके डिमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाती है और उसके विपरीत जब भी कोई निवेशक शेयर बेचता है तो शेयर की वह संख्या उसके अकाउंट से डेबिट हो जाती है। 

इस अकाउंट के द्वारा आप शेयर मार्केट में सिक्योरिटी की खरीद फरोख्त कर सकते हैं।

रीमैटेरियलाइजेशन का क्या अर्थ है?

अगर आप भविष्य में अपना डिमैट अकाउंट बंद करना चाहे पर खरीदे गए स्टॉक (Stocks) को ना बेचना चाहे तो इस स्थिति में आप अपने शेयरों की पेपर फॉर्म में डिलीवरी ले सकते हैं इस प्रक्रिया को रीमैटेरियलाइजेशन (rematerialisation) कहा जाता है।

रीमैटेरियलाइजेशन का अर्थ होता है किसी भी अभौतिक वस्तु को भौतिक रूप में परिवर्तित करना। रीमैटेरियलाइजेशन के द्वारा सभी प्रकार के अभौतिक रूप (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम) में संग्रहित शेयर प्रमाण पत्रों को भौतिक रूप में परिवर्तित किया जाता है।

इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए सभी निवेशक रीमैट रिक्वेस्ट फॉर्म (आरआरएफ) पर हस्ताक्षर करते हैं, उसके उपरांत डीपी (डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट) आरआरएफ फॉर्म की जांच करता है और इस फॉर्म को कंपनी के समक्ष प्रस्तुत करता है।

ट्रेडिंग अकाउंट फ्रीजिंग का क्या अर्थ है?

फ्रीजिंग का अर्थ होता है निवेशक के डीमैट अकाउंट से सभी प्रकार की सिक्योरिटी के स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगना। फ्रीजिंग के विभिन्न कारण हो सकते हैं।

  • यदि किसी निवेशक के डीमैट अकाउंट में 3 वर्ष से अधिक समय के लिए किसी भी प्रकार की ट्रांजैक्शन नहीं होती है तो उस स्थिति में सेबी के नियमों के अनुसार डीपी उस डीमैट अकाउंट को फ्रीज कर सकता है।
  • एक निवेशक अपने डिमैट खाता से सिक्योरिटी के डेबिट को फ्रीज कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप इस डीमैट अकाउंट से सिक्योरिटी के डेबिट होने पर प्रतिबंध लग जाता है परंतु सिक्योरिटी से संबंधित बोनस तथा अन्य क्रेडिट उसके अकाउंट में क्रेडिट होते रहते हैं।
  • एक निवेशक अपने अकाउंट से सिक्योरिटी के डेबिट और क्रेडिट को फ्रीज कर सकता है जिसके परिणाम स्वरूप इस डीमैट अकाउंट से सभी प्रकार के डेबिट तथा क्रेडिट पर प्रतिबंध लग जाता है जब तक निवेशक इसे स्वयं ही अनफ्रीज नहीं करता है। यह सुविधा उन निवेशकों के लिए अति लाभप्रद है जो बहुत थोड़े समय के लिए डिमैट अकाउंट का उपयोग करते हैं।
  • एक निवेशक अपने डिमैट अकाउंट से किसी एक विशेष कंपनी की सिक्योरिटी के डेबिट को फ्रीज कर सकता है जिसके परिणाम स्वरूप इस विशेष कंपनी की सिक्योरिटी के डेबिट पर प्रतिबंध लग जाता है। निवेशक अपने डीमैट अकाउंट में उपलब्ध अन्य सिक्योरिटी की ट्रेडिंग सरलता से कर सकता है और फ्रीज सिक्योरिटी से प्राप्त क्रेडिट का लाभ भी उठा सकता है।

अकाउंट में सिक्योरिटी को फ्रीज/अनफ्रीज कैसे किया जाता है?

डिमैट अकाउंट में सिक्योरिटी को फ्रीज/अनफ्रीज करने के चरण इस प्रकार है:

  • निवेशक को फ्रीज/अनफ्रीज फॉर्म को ध्यान पूर्वक भरना होता है तथा उस पर हस्ताक्षर प्रदान करने होते हैं। यदि एक डीमैट अकाउंट के एक से अधिक धारक हो तो उन सभी को भरे गए फ्रीज/अनफ्रीज फॉर्म पर हस्ताक्षर प्रदान करने होते हैं।
  • हस्ताक्षरित फॉर्म को डीमैट संबंधित शाखा में जमा करवाना होता है।
  • फॉर्म जमा कराने के उपरांत डीमैट अकाउंट के फ्रीज/अनफ्रीज होने में 48 से 72 घंटे का समय लगता है।