दुनिया भर में डिलीवरी ट्रेडिंग निवेश के लिए इस्तेमाल होने वाली एक बहुत ही अच्छी विधि मानी जाती है। निवेश करने के लिए निवेशक जो शेयर डिलीवरी में खरीदता है वह उन शेयरों को अपने डीमैट खाते में लंबे समय तक अपनी मर्जी के अनुसार रख सकता है। आज हम जानेगे डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है (Delivery trading meaning in Hindi)और इसे हम कैसे करते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग का साधारण शब्दों में अर्थ है कि आज हम कोई शेयर खरीदे और उसको 1 दिन बाद, कुछ हफ्तों बाद, महीनों बाद या सालों बाद बेच दे। डिलीवरी ट्रेडिंग धन अर्जित करने का एक बहुत ही अच्छा तरीका माना जाता है।
निवेशक को डिलीवरी में शेयर खरीदने के लिए शेयर को खरीदने और बेचने की जानकारी होने के साथ-साथ शेयर मार्केट में उसका डीमैट अकाउंट भी होना अनिवार्य है। डिलीवरी ट्रेडिंग में हर एक निवेशक अपने शेयरों को लंबे समय तक रख सकता है।
भारत का मशहूर स्टॉक ब्रोकर जीरोधा सबसे सुरक्षित स्टॉक ब्रोकर माना जाता है। यह आपको डिलीवरी ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग दोनों के साथ-साथ म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, गोल्ड, गवर्नमेंट बॉन्ड में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए निवेशक को पर्याप्त मात्रा में इसकी जानकारी होनी चाहिए। इसकी जानकारी हम आपको नीचे बताएंगे।
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है - What is DELIVERY TRADING with Example?
Delivery trading meaning in Hindi यह है कि डिलीवरी ट्रेडिंग एक तरह की ट्रेडिंग होती है जिसमें एक ट्रेडर कोई शेयर बाय करता है और उसे निश्चित समय के लिए होल्ड करके रखता है। यह समय एक दिन, दो दिन, एक सप्ताह, एक महीना, एक साल, दो साल कुछ भी हो सकता है। निश्चित किया गया टारगेट मिलने पर ट्रेंडर अपना प्रॉफिट बुक करके ट्रेड को बंद कर देता है। इस प्रकार की ट्रेडिंग को हम डिलीवरी ट्रेडिंग कहते हैं। साधारण भाषा में हम इसे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट भी कह सकते हैं। यहां पर यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह स्विंग ट्रेडिंग नहीं होती है स्विंग ट्रेडिंग एक अलग प्रकार है।
जब आप नॉर्मल ऑर्डर डालकर किसी शेयर के पूरे पैसे भरकर ब्रोकर से मार्जिन लिए बिना स्टॉक खरीदते हैं और डीमैट खाते में उसकी डिलीवरी लेते हैं तो इसको हम डिलीवरी ट्रेडिंग कहते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग में सारे शेयरों के पैसे पहले दे दिए जाते हैं और आप उनके पूरे मालिक होते हैं आप जब तक चाहे होल्ड कर सकते हैं। इसमें आप किसी भी तरह का ट्रेडिंग मार्जिन (trading margin) नहीं लेते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग में टारगेट इंट्राडे ट्रेडिंग जैसे ही रखे जाते हैं लेकिन इनमें टारगेट लंबे रखे जाते हैं और ज्यादा मुनाफे वाले रखे जाते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग की उदाहरण
Delivery trading example: उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी स्टॉक का प्राइस इस समय ₹500 चल रहा है और आपके टेक्निकल या फंडामेंटल एनालिसिस के हिसाब से अगले कुछ समय में यह स्टॉक 800 पर या उससे ऊपर चला जाएगा। लेकिन इसमें कुछ भी समय लग सकता है। ऐसी स्थिति में आप फ्यूचर में बाय करके होल्ड नहीं कर सकते क्योंकि हर महीने फ्यूचर एक्सपायर हो जाते हैं। इसीलिए आपको यहां पर शेयर के पूरे पैसे देकर उसकी डिलीवरी लेनी पड़ेगी। वह शेयर आपके डीमैट खाते में जमा आ जाएंगे। एक बार डिलीवरी मिल जाने के बाद आप अपनी ट्रेड को होल्ड करेंगे जब तक आपका टारगेट या स्टॉपलॉस हिट नहीं हो जाता है। तो यह डिलीवरी रीडिंग होती है।
Understand Delivery Trading Meaning in Hindi
हर एक निवेशक के लिए डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है। डिलीवरी ट्रेडिंग निवेशकों के लिए एक ऐसी विधि मानी जाती है जो उनको एक ही दिन में शेयर खरीद कर जब चाहे बेचने का अवसर प्रदान करती है।
शुरुआत में जो निवेशक डिलीवरी में शेयर खरीदता है वह अपने खरीदे गए शेयर डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर करवाता है। डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक अपनी मर्जी के अनुसार खरीदे हुए शेयरों को लंबे समय तक होल्ड करके अपने पास रख सकता है।
इस प्रक्रिया के लिए उसको किसी भी तरह की मनाही नहीं है। यह अक्सर देखा गया है की डिलीवरी ट्रेडिंग उन्हीं निवेशकों के लिए लाभदायक है जो लांग टर्म इन्वेस्टमेंट में विश्वास रखते हैं। डिलीवरी में निवेश करने के लिए निवेशक के पास पर्याप्त मात्रा में धनराशि होनी चाहिए।
डिलीवरी ट्रेडिंग में ट्रेडर को नुकसान ना के बराबर ही होता है। डिलीवरी ट्रेडिंग एक ऐसा स्रोत है पैसे कमाने का जिसमें की वारेन बुफेट और राकेश झुनझुनवाला जैसे बड़े व्यापारी इसमें अपने पैसे इन्वेस्ट करते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ महत्वपूर्ण नियम:
- निवेशक को डिलीवरी में शेयर खरीदने के लिए उस कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है।
- डिलीवरी में खरीदे गए शेयरों को बेचने के लिए सही समय की प्रतीक्षा करें जल्दबाजी में आकर कोई भी निर्णय ना लें जिससे कि आपको हानि हो।
- निवेशक को डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर अलग-अलग कंपनियों के खरीदने चाहिए जिससे कि उसको आगे जाकर फायदा हो। अच्छी तरह शेयर और अपने फंड को डायवर्सिफाई करने से नुकसान कम होता है।
- निवेशक के लिए यह जरूरी है कि डिलीवरी ट्रेडिंग करने से पहले उसको उसकी अच्छी तरह से जानकारी ले लेनी चहिये ताकि वह हर एक कदम सोच-समझकर उठाए।
- डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए हर एक ट्रेडर के खाते में पर्याप्त मात्रा में धन होना चाहिए ताकि उसको अपने शेयरों को खरीदने और बेचने के लिए कोई भी दिक्कत ना हो।
- ट्रेडर को अपने टारगेट प्राइस और स्टॉप लॉस की वैल्यू सेट करके रखनी चाहिए।
- चाहे आपने शेयर डिलीवरी में लिए हैं लेकिन आपके पास एक स्टॉप लॉस जरूर होना चाहिए और उस स्टॉपलॉस को हिट करते ही आपको जितना नुकसान हो उसी नुकसान में निकल जाना चाहिए। मार्केट के ऊपर जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
- निवेशक को अपने डिलीवरी ट्रेडिंग के अकाउंट को चलाने के लिए अपने शेयरों का पूरा मूल्य देना होता है।
- डिलीवरी का कोई भी मार्जिन नहीं होता है जिस के कारण खरीदे गए शेयरों का मूल्य उसी समय चुकाना पड़ता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करते है - How to do Delivery Trading?
निवेशक को लंबे निवेश के लिए ही डिलीवरी ट्रेडिंग में हिस्सा लेना चाहिए। इसमें ट्रेडर किसी भी नियम से बंधा नहीं होता है। वह अपनी मर्जी से शेयर को खरीद और जब मर्जी बेच सकता। वह शेयर को 2 दिन या 1 साल बाद खरीद या बेच सकता है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अगर निवेशक पैसे कमाना चाहता है तो उसे सही समय का इंतजार करना चाहिए और इसके लिए उसको एक बहुत ही परफेक्ट प्लान की भी आवश्यकता होती है।
क्योंकि अगर ट्रेडर को डिलीवरी ट्रेडिंग में अच्छा पैसा नहीं मिलता है तो वह अपने अनुसार शेयरों को होल्ड करके रख सकता है। हर एक निवेशक के पास डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए पर्याप्त मात्रा में धनराशि होनी चाहिए। अगर उसके पास पर्याप्त मात्रा में धनराशि नहीं है तो वह शेयर नहीं खरीद सकेगा।
डिलीवरी में ट्रेडिंग चार्जेस - Delivery Trading Charges
डिलीवरी में शेयर लेने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ज्यादातर स्टॉक ब्रोकर डिलीवरी के लिए ब्रोकरेज फीस नहीं लेते है। जिसका मतलब है कि आपको शेयर खरीदने और बेचने के लिए किसी भी तरह की ब्रोकरेज नहीं देनी पड़ती है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में सबसे पहला शुल्क GST का लगता है और जीएसटी का शुल्क ब्रोकर के साथ ट्रांजैक्शन करते वक्त भी देना होता है।
- डिलीवरी के लिए एसटीटी और सीटीटी का शुल्क भी लगता है।
- ट्रांजैक्शन चार्जेस भी लगते हैं।
- 1899 में भारत Stamp Act द्वारा स्टैंप ड्यूटी के नाम का शुल्क भी लगाया गया है।
- डिलीवरी में आमतौर पर SEBI द्वारा भी शुल्क लगाया जाता है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक को ब्रोकर द्वारा एक मार्जिन भी दिया जाता है। जिसमें कि वह कम ब्याज दर पर शेयर खरीद सकता है। ब्रोकर निवेशक को इस तरह का मार्जिन बताता है जिसमें कि ब्याज दर बहुत ही कम होता है या फिर ना के बराबर ही होता है ताकि निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग में लंबे समय तक बना रहे।
- नए निवेशकों को हमेशा मार्जिन ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें जोखिम होता है। उदाहरण के तौर पर चाहे आपको लाभ हो या हानि हो आपका स्टॉक ब्रोकर आपसे जो भी बनता ब्याज होगा वह जरूर लेगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे - Advantages of delivery trading
- डिलीवरी ट्रेडिंग को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि जैसे कि इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही दिन में शेयर खरीदने और बेचने के लिए निवेशक बाध्य होता है। डिलीवरी ट्रेडिंग में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तभी इसमें जोखिम भी कम होता है।
- शेयर डिलीवरी में लेने का एक और फायदा यह भी है कि इसमें निवेशक शेयरों को अपने पास सही समय आने तक रोक कर रख सकता है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक लंबे समय के लिए निवेश कर सकता है यह भी ट्रेडर के लिए एक फायदा ही साबित होता है।
- जब हम डिलीवरी में ट्रेड करते हैं तो हमें मार्केट में आने वाली बुरी खबरें और अच्छी खबरें के प्रभाव से शेयर बाजार में आने वाली तेजी और मंदी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक जो भी शेयर खरीदता है। वह उसके बोनस का हकदार खुद होता है क्योंकि उसके द्वारा खरीदे गए शेयरों का मालिक वह खुद होता है और बोनस का फायदा भी वह सीधा खुद ही लेता है।
- शेयर डिलीवरी में पैसा लगाने से आपको उस पैसे से अच्छा मुनाफा हो सकता है।
- इसमें में आपके पास अच्छे शेयर होने से आप बैंक से बड़ी रकम का लोन भी ले सकते हैं।
- निवेशक को डिलीवरी ट्रेडिंग में ब्रोकरेज नहीं देना पड़ता है।
- आप हर तरह के शेयर की डिलीवरी डीमैट अकाउंट ले सकते हैं।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
- हर एक निवेशक को डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए एडवांस में पैसा देना होता है और इसके साथ ही अगर आपके पास उचित मात्रा में धन है तो ही आप डिलीवरी में स्टॉक का ट्रेड कर सकते हैं।
- इसमें निवेशक को धैर्य रखकर लंबे समय का निवेश करना होता है।
- इसमें स्टॉक मार्केट क्रैश का रिस्क भी बना रहता है।
- लंबे समय तक निवेश करने से अच्छे रिटर्न आने की गारंटी नहीं होती है।
हम इस बात की आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा ऊपर दी गई जानकारी में डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है और उसमें कैसे निवेश करना चाहिए इसकी जानकारी अच्छे से मिल गई होगी। आपको इतनी जानकारी तो हो गई होगी की डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने से पहले आपको इसकी अच्छी तरह से रिसर्च करनी जरूरी है। और यह एक लॉन्ग टर्म प्रोसेस है और इसमें निवेश करने के लिए आपको धैर्य रखना आवश्यक होता है।
इसमें आपके पास पर्याप्त मात्रा में धन होना भी जरूरी है तभी आप डिलीवरी ट्रेनिंग में निवेश कर सकेंगे। इन बातों के साथ-साथ यह बात तय है कि डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको आगे जाकर बहुत ही मुनाफा और अपने आमदनी में वृद्धि देखने को मिलती है।
डिलीवरी में शेयर खरीदने का सबसे बड़ा कारण होता है कि हम अपनी संपत्ति में बढ़ोतरी करना था। इसीलिए इसको लंबे समय में धन अर्जित करने की सबसे अच्छी विधि माना जाता है।