बीमा लोकपाल क्या होता है? - Bima Lokpal Complaint Kaise Kare

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1998 में भारत सरकार ने बीमा दावे निपटारे से संबंधित विवादों को हल करने के लिए बीमा अधिनियम 1938 के तहत बीमा लोकपाल योजना का गठन किया है। इसने इन्शुरन्स क्लेम से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक कुशल और लागत प्रभावी तरीका पेश किया गया है। तो चलिए जानते हैं बीमा लोकपाल क्या होता है और बीमा लोकपाल कंप्लेंट (Bima Lokpal complaint) कैसे करते हैं।

पॉलिसीधारक जो बीमाकर्ताओं द्वारा इन्शुरन्स क्लेम सेटेलमेंट से संतुष्ट नहीं है वह अपने नजदीकी बीमा लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। 

भारत सरकार ने बीमा धारकों के हितों की रक्षा करने के लिए बीमा लोकपाल एजेंसी का गठन किया है जिसमें पॉलिसीधारक बीमा से संबंधित शिकायतों के निवारण के लिए जा सकते हैं। बीमा लोकपाल (Insurance ombudsman) बीमा धारक और बीमा कंपनी के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। एक बार शिकायत मिलने पर यह दोनों तरफ की दलीलों के सुनने के बाद क्लेम सेटेलमेंट करवाता है। 

बीमा लोकपाल सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति होता है और बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने पर किसी तरह का खर्चा नहीं देना पड़ता है। यह अपनी सेवाएं मुफ्त में प्रदान करता है। 

Bima Lokpal के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने से पहले बीमाधारक को अपनी बीमा कंपनी में शिकायत दर्ज करनी होती है जैसे कि पहले चरण में बताया गया है। अगर कंपनी शिकायत का निवारण नहीं करती है या 30 दिन के भीतर शिकायत का कोई जवाब नहीं देती है या इन्शुरन्स क्लेम सेटलमेंट में जरूरत से ज्यादा समय ले रही है तो पॉलिसी धारक बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवा सकता है।

इस समय पूरे भारत में 17 बीमा लोकपाल है और आप इनमे से किसी के पास भी अपनी बीमा शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। बीमा लोकपाल के पास बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने का कोई शुल्क नहीं होता है और इसके लिए आपको किसी वकील या विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होती है। 

इन्शुरन्स अम्बुडसमैन के पास जाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि पॉलिसी धारक अगर क्लेम सेटेलमेंट से संतुष्ट नहीं है तो वह कोर्ट में जा सकता है लेकिन इन्शुरन्स कंपनी को बीमा लोकपाल के द्वारा तय किए गया मुआवजा पॉलिसी धारक को देना ही पड़ता है। बीमा लोकपाल योजना में 20 लाख तक के बीमा पॉलिसी की सुनवाई की जा सकती है।

जैसे कि ऊपर बताया गया है अगर आप इन्शुरन्स अम्बुडसमैन द्वारा पॉलिसी सेटेलमेंट से असंतुष्ट है तो आप कोर्ट में जाकर बीमा कंपनी के खिलाफ केस दर्ज करवा सकते हैं।

ध्यान दें: अगर आपका बीमा क्लेम सही होगा तभी बीमा लोकपाल आपकी मदद कर पाएगा। अन्यथा आपका, बीमा कंपनी का, और बीमा लोकपाल का समय ही खराब होगा।

बीमा लोकपाल की सूची देखने के लिए आईआरडीएआई की वेबसाइट के इस पेज (क्लिक करें) पर जाएं। 

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बीमा लोकपाल के कर्तव्य - Duties of Bima Lokpal or Insurance Ombudsman

  • लोकपाल के साथ शिकायत दर्ज करने से पहले बीमाकर्ता के शिकायत निवारण अधिकारी से संपर्क करना अनिवार्य है। अगर आप बीमाकर्ता द्वारा जवाब से असंतुष्ट हैं तो शिकायत दायर की जा सकती है।
  • अगर लोकपाल सोचते है कि आपकी शिकायत सही नहीं है तो लोकपाल आपकी शिकायत को अस्वीकार कर सकते है।
  • ओम्बुडसमैन को शिकायत मिलने के 3 महीने के भीतर शिकायत का निवारण करना पड़ता है।
  • अगर लोकपाल आपसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहता है तो वह आवश्यक पुरस्कार दे सकता है। पुरस्कार स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्णय पॉलिसीधारक का होता है लेकिन बीमा कंपनी निर्णय का अनुपालन करने के लिए बाध्य होती है।
  • यदि पॉलिसीधारक लोकपाल द्वारा दिए गए पुरस्कार को स्वीकार करता है तो उसको लोकपाल को लिखित सूचना देनी पड़ती है।
  • आपको बीमा लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराने के लिए वकील की आवश्यकता नहीं है।
  • क्लेम रिव्यूज होने की तारीख से एक साल बाद शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती।
  • यदि आपकी शिकायत उपभोक्ता अदालत या कानून की किसी भी अदालत में है तो बीमा लोकपाल के पास जाने से पहले फैसले का इंतजार करें।  

लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवाने की प्रक्रिया - Bima Lokpal online complaint

आप IRDAI की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बीमा लोकपाल कंप्लेंट दर्द कर सकते हैं। इसके अलावा आप ईमेल भेज कर, डाक के माध्यम से या सीधे बीमा लोकपाल दफ्तर जाकर इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज करवा सकते हैं।

Bima Lokpal Complaint ऑनलाइन दर्ज करवाने के लिए क्लिक करें और उसके बाद अपने मोबाइल नंबर की सहायता से शिकायत दर्ज की जा सकती है।

अपने नजदीकी लोकपाल का पता करने के लिए आप आईआरडीए की वेबसाइट पर जाकर बीमा लोकपाल लिस्ट देख सकते हैं और अपने नजदीकी लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं।

अपनी शिकायत का समर्थन करने वाले दस्तावेज़ों के साथ संबंधित लोकपाल को अपनी शिकायत सबमिट करें। शिकायत पोस्ट द्वारा भेजी जा सकती है।

अगर बीमा लोकपाल के सामने आप अपना पक्ष रखने में असमर्थ है तो कुछ निजी कंपनियां होती हैं जो बीमित व्यक्तियों की मदद करती है लोकपाल के सामने उनका पक्ष रखने में। इसके बदले में आपको उनको कुछ फीस देनी पड़ती है।

यह भी ध्यान रखें कि अगर आपका इन्शुरन्स क्लेम स्वीकार कर लिया जाता है तो बीमा कंपनी ऐसी फीस जो आपने निजी कंपनी को दी होती है उसके लिए मुआवजा नहीं देती। लेकिन हमारी सलाह में इसकी जरूरत नहीं है आप खुद भी सारा काम कर सकते हैं।

हमारे पिछले पोस्ट में हमने अच्छी तरह से समझाया है कि अगर बीमा कंपनी क्लेम देने से मन करे तो कैसे उसके खिलाफ कंप्लेंट की जा सकती है और अपना क्लेम लिया जा सकता है। वह पोस्ट जरूर पढ़ें।

बीमा लोकपाल के पास शिकायत करने की अवधि क्या होती है ?

इसके लिए कोई सीमा नहीं होती है। अगर बीमा कंपनी शिकायत निवारण ब्रांच आपकी कंप्लेंट हल करने में असमर्थ होती है या आप उनके सेटलमेंट से खुश नहीं है तो आप लोकपाल से शिकायत कर सकते हैं।

क्या लोकपाल के पास शिकायत करने का कोई शुल्क/प्रभार भी है?

भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के नियमों के अनुसार लोकपाल के पास शिकायत करने का कोई शुल्क नहीं होता है। बीमा लोकपाल की सेवाएं हर पॉलिसी होल्डर के लिए मुफ्त में उपलब्ध होती है।

बीमा लोकपाल में केस डालने के बाद कितना टाइम लगता हैं?

एक बार बीमा लोकपाल में केस डालने के बाद, इन्शुरन्स अम्बुडसमैन 15 दिन में शिकायत की सुनवाई शुरू कर देता है और 3 महीने के बीच में शिकायत का निवारण कर दिया जाता है।

भारत में कितने बीमा लोकपाल है?

IRDAI द्वारा नियुक्त देश भर में 17 बीमा लोकपाल हैं जो पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा के लिए काम करते हैं। लोकपाल आमतौर पर बीमा उद्योग, न्यायिक सेवाओं और सिविल सेवाओं से होते हैं।